Tuesday, August 11, 2009

शहीद

जिनके दम पर आज तिरंगा शान स्से यूँ लहाराया है,
जब भी मिले शाहीद ख्वाब में हमने रोता पाया है,
चमन तुम्हारे किया हवाले मुस्काते यूँ चले गए,
हमने देख पसीना तेरा, अपना लहू बहाया है,
जब भी मिले शहीद ख्वाब में हमने रोता पाया है,

अपनी करनी का हम को तो, रत्ती भर भी रज नही,
खुद कांटे छांटे है हमने, फूलों को ठुकराया है,
नाम हमारा वो लेकर के मंत्री पद तक जा पहूँचे,
हदें तोड़ दी तुमने सारी, मां का दूध लरजाया है,
जब भी मिले शहीद ख्वाब में हमने रोता पाया है,


कायर बन के कही दुबक के, हम भी तो सो सकते थे,
हमने दर्द धूप का झेला, मिली तुम्हे तब छाया है,
आजादी के सिवा ना कुछ भी जीवन में चाहा हमने,
जन-गण-मन और वन्दे मातरम गीत यही बस गाया है,
जब भी मिले शहीद ख्वाब में हमने रोता पाया है,

चित्र स्मारक या फिर बुत को शहद लगा क्या चाटेंगें,
परिवार ने कई कई दिन तक दाना एक ना खाया है,
जिनके दम पर आज तिरंगा शान से यूँ लहराया है,
जब भी मिले शहीद ख्वाब में हमने रोता पाया है ॥
जब भी मिले शहीद ख्वाब में हमने रोता पाया है

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