Saturday, August 8, 2009

नव सम्वत

नये साल पर हंसते गाते
होटल क्लब में शोर मचाते
नव सम्वत लगता है ऐसे
जैसे हम कोई श्राद्ध मनाते
नये साल से नही ग्लानि
पर सम्वत को मान मिले
नये साल जितना ही इसको
कम से कम सम्मान मिले
हैलो हाय ही याद है अब तो
भूल गये चन्दन का टीका
नव सम्वत क्यों पड़ गया फ़ीका

छोटा सा बस एक उत्सव कर
खुशियों से हम फूल गये
अंग्रेजी चक्कर में पड़कर
संस्कृति को भूल गये
पहले तो चलता था देशी
फिर घुस आए यहाँ विदेशी
देख पराई चमक दमक को
पीछे छूट गया स्वदेशी
टूटा बिल्ली भागों छींका
नव सम्वत क्यों पड़ गया फ़ीका

हो चाहे कोई भी मौका
जन्मदिवस या विवाह सगाई
छोड़ के धोती कुर्ता खादी
कोट पैंट और लगती टाई
दो सौ वर्ष की गुलामी ने
लाखों वर्ष की रीत मिटाई
डाइनिंग पर लगता है खाना
फोटो में बस दिखे चटाई
सम्वत से है शान राष्ट्र की
अंग्रजी जंजाल है जी का
नव सम्वत क्यों पड़ गया फ़ीका

नया साल है मुम्बई पूना
नव सम्वत क्यों लगता सूना
आओ मिलकर इसे मनाएं
घर घर मंगल दीप जलाएं
तोड़ गुलामी की जंजीरें
दूर करें इंग्लिश परछाई
एक दूजे को गले लगाकर
नव सम्वत की दो बधाई
दीया जलाएँ देशी घी का
नव सम्वत क्यों पड़ गया फ़ीका

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